मेघनगर ।   ऐसा लगता है मेघनगर इस मेघो के नगर को  सुर्खियों में रहने की आदत सी बन गई है ।कुछ दिनों से  भू राजस्व विभाग चर्चा में छाया हुआ है जानकार सूत्र बताते हैं कि झाबुआ रोड पर लगा हुआ सर्वे नंबर 604 बटे दो मैं जितने भी प्लाट, जमीन या बने हुए मकान आ रहे हैं उन्हें  भू राजस्व विभाग द्वारा 1959 से किसके नाम पर थी किसके पास रही और अभी किसके नाम पर है । इन सभी पन्नों को  खंगालने के लिए जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा एक पत्र के माध्यम से एसडीएम मेघनगर तरुण जैन को यह आदेशित किया गया है।  इसकी पूरी जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए तुरंत आदेश का पालन करते हुए एसडीएम कार्यालय ने नोटिस भेजकर इन्हें   दिनांक 29. 8 .2022 सोमवार को इन तमाम नोटिस धारी को तलब करने के लिए भी कहा । कुछ वहां पर पहुंचे भी थे कुछ ने जवाब भी प्रस्तुत किए बताते हैं !कि खरीददारों द्वारा कुछ समय भी मांगा गया है।

लोन देने वाली संस्थाओं का आखिर क्या होगा

भू राजस्व अधिनियम की धारा अंतर्गत 170 (क,ख)1959 के बाद किसी भी आदिवासी की जगह सामान्य व्यक्ति नहीं खरीद सकता लेकिन किसी सामान्य के नाम पर दर्ज है। और उसे किसी सामान्य ने खरीदी ली है तो भी इस प्रकार के प्रकरण को अनुचित या विधि के विपरीत माना जाएगा हालांकि जमीन जायदाद में अधिकतर दलालों के भरोसे व्यापार होते हैं और यह दलालों का फर्ज होता है कि पहले जमीन किस नाम पर थी और अब किसके नाम पर हुई इन सभी चीजों से खरीद दार को अवगत कराएं लेकिन  पेट के चक्कर में या यूं कहें कि खरीदार को बाजार भाव से कम रेट दिखने पर वह भी लालच में आकर सौदा कर लेता है उक्त सर्वे नंबर पर जो भी मकान बने हुए हैं उनमें से ही किसी एक से हमने पड़ताल की तो पता चला है कि बेचने वाले ने बेच दी खरीदने वाले ने खरीद ली लेकिन 165 की मंजूरी एवं उस प्रॉपर्टी को सर्च के बाद  बैंक या प्राइवेट लोन भी आंख बंद करके दिया जाता है अब ऐसी स्थिति में यदि कोई कानूनी अड़चन  या कानूनी कार्यवाही होती है तो उन बैंकों का या उन बैंक में जो गारंटर बने हैं आखिर उनका क्या होगा बैंक अपना पैसा वसूल तो करेगी लेकिन इसकी भरपाई किससे होगी ।