राणापुर :-- हमारे किस्मत हे की इस छोटे मगर एकता के पर्याय नगर में  विचरण का अवसर प्राप्त हुआ। यहा चातुर्मास कर रही विस्मिता जी और विगम्या जी ने समाज जनो को धर्म की और प्रगाढ़ बनने का संकल्प दिया प्रशंशनीय हे। मेने राणापुर का नाम तो सुना था, आने की बहुत इच्छा थी।योग आज बने नगर के श्रेष्ठ जनो की भावना देखकर में अभिभूत हु।उक्त उदगार आचार्य विभव सागर जी ने राणापुर प्रवेश के अवसर पर अम्बेडकर प्रतिमा के पास बनाये गए समवशरण पर बिराजमान हो व्यक्त किये। आचार्य श्री ने कहा कि सन्त बहती नदी के समान है हर मनुष्य लाभ ले सकता है। झाबूआ की और से विहार कर आचार्य श्री के सुविशाल 25 मुनिराज और साध्वीजी का संघ पद यात्रा करते हुए राणापुर प्रवेश हुआ जहा साध्वी विस्मिता जी , विगम्या जी के साथ दिगम्बर,अग्रवाल समाज के सेकड़ो श्रावक श्राविकाओं ने आगवानी की   संजय अग्रवाल ने बताया कि बेंड के मधुर कोरस भरे भक्ति गीत और ढोल की थाप के साथ जुलुश पुराना अस्पताल,चंद्रशेखर मार्ग,सुभाश मार्ग होते हुए पुराना बस स्टेंड पहुचा जहा समाज द्वारा बनाये गए समवशरण पर आचार्य श्री,सभी मुनि भगवंत और साध्वीजी महाराज उपस्थित हुए । सम्बोधन में राणापुर की वेय्यावच्च व्यवस्था की सराहना की एव धर्म के प्रति आरूढ़ रहते हुए अहिंसात्मक कार्यो को करने का आव्हान किया।
     पुनः जुलुश शिवाजी चोक होते हुए मंदिर जी पहुचा जहा से आहार विधि प्रारम्भ हुई।जगह जगह श्वेताम्बर,
दिगम्बर अग्रवाल जैन समाज ने गहुली कर द्वार आँगन में वधाया।
       जुलुश को जैन ध्वज के पांच रंगों में सजाया गया था।50 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाएं केसरिया ,50 से कम वाली पिली,50 से ज्यादा उम्र के पुरुष सफेद तथा 50 से कम वाले पुरुषों ने हरी तथा तरुणों ने नीली पोशाक पहनी थी जो जुलुश की अलग ही आभा बिखेर रही थी। पुरे रास्ते युवक युवतियां जय जय कार के नारों के उदघोष के साथ थिरक रहे थे। आचार्य श्री के साथ मुनि,साध्वी भगवंत एक सप्ताह स्थिरता करेंगे।