भोपाल । जीएसटी में फर्जी रजिस्ट्रेशन और बोगस बिलों के खेल पर नियंत्रण के लिए नई कवायद हुई है। रजिस्ट्रेशन करवाने वाला व्यापारी अपने सीए या कर सलाहकार या किसी दूसरे के मोबाइल और ईमेल से रजिस्ट्रेशन हासिल नहीं कर पायेगा। उसी मोबाइल नंबर और ईमेल पर रजिस्ट्रेशन मिलेगा जो आयकर के रिकार्ड में है। बीते दिनों सरकार ने पैन आधार को लिंक करना अनिवार्य कर दिया था। जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए होने वाला आधार कार्ड का सत्यापन भी अब बायोमेट्रिक आनलाइन फोटो और असली दस्तावेजों के साथ होगा। सीए भरत नीमा के अनुसार उपरोक्त संशोधन का उद्देश्य फर्जीवाड़ा रोकना है।
बीते वर्षों में हजारों मामले सामने आ चुके हैं। जहां लोगों के आधार कार्ड हासिल कर उनके नाम से जीएसटी नंबर ले लिया गया था। ऐसे सभी मामलों में आइटीसी का फर्जीवाड़ा किया गया। बिना सप्लाय बोगस बिल काटे गए। अब जिसके नाम से रजिस्ट्रेशन होगा उसे इसकी पूर्ण जानकारी रहेगी। ऐसे में वह फर्जीवाड़ा पकड़ में आने पर अपनी जवाबदेही से बच भी नहीं सकेगा। इसके बाद भी रिस्क पैरामीटर एनालिसिस में यदि आवेदक आता है तो विभाग रजिस्ट्रेशन से पहले फिजिकल सत्यापन कर सकता है। मतलब विभाग को अधिकार संपन्न बनाया गया है।
आईटीसी का नया नियम
वर्तमान में सप्लायर को क्रेता ने 180 दिन में भुगतान नहीं किया है तो आइटीसी वापस करनी होती है। अब नियम 37 ए लाया गया है जिसमे यदि सप्लायर ने 3बी के माध्यम से अगले वर्ष के नवंबर तक टैक्स का भुगतान नहीं किया है तो भी खरीदने वाले को रिवर्स करना है । अन्यथा ब्याज सहित आइटीसी रिवर्स करना पड़ेगा। यदि बाद में सप्लायर टैक्स भर देता है तो वापस आइटीसी लिया जा सकेगा। अब अनरजिस्टर्ड व्यक्ति यदि कोई सौदा निरस्त करता है और उसने जो टैक्स सप्लायर को दिया था। सप्लायर ने समयसीमा के कारण टैक्स की राशि विभाग को दे दी थी जिसके कारण वह क्रेता को क्रेडिट नोट नहीं दे रहा है तो अन रजिस्टर्ड व्यक्ति को एक पैन न। के माध्यम से टेम्पररी रजिस्ट्रेशन (वहीं का लेना है जहां का सप्लायर है) लेना होगा जहां से वह रिफंड ले सकेगा। उसे सप्लायर से डिटेल्ड सर्टिफिकेट लेना होगा तथा अग्रीमेंट वगैरह के दस्तावेज पोर्टल पर देना होंगे। रिफंड की समयसीमा दो वर्ष की रहेगी।