धर्म और तप करने के लिये कोई प्रेरित करे उसका उपकार मानना- पूज्य संयत मुनिजी 

मेघनगर  !    जीव क्रोध मे आकर,मान के कारण,लोभ के चलते यश की अभिलाषा से अपनी मांगे मनवाने मे आदि कई कारणों से भूखा रह लेता है वो तप नहीं है तप भगवान के अनुसार इच्छापूर्वक प्रत्याख्यान से किया जाता है तप मे भोजन की इच्छा रोकनी पड़ती है तपस्वीयों का सच्चा बहुमान तभी होगा जब हम भी कुछ ना कुछ प्रत्याख्यान ग्रहण करेंगे हमे तप कठिन लगता है पर सुख पाना है तो तपना पड़ता है जितनी कसाय मंद होगी उतना सुख होता है तप और धर्म मे कोई प्रेरित करे उसका उपकार मानना चाहिये तपस्वियों की अनुमोदना के लिये इतने श्रद्धालुओं को देखकर अभिभूत हुँ देव गुरु धर्म के लिये  इतना उत्साह अच्छा है  उक्त वचन अनुस्वाध्याय भवन मे 8 तपस्वियों के तप की अनुमोदना मे सामूहिक आयोजन मे अणुवत्स संयत मुनिजी ने कहे डूंगर मालवा की शान मेघनगर के नाम को गुंजायमान करने वाली तप चक्रेश्वरी स्नेहलता जी वागरेचा ने आज अपने उपवास का अर्धशतक पुरा किया यानी 50 उपवास के प्रत्याख्यान लिये सकल जैन श्री संघ के सुश्रावक कमलेश भंडारी ने 31 उपवास , सुदर्शन शांतिलाल मेहता, राहुल दिनेश वागरेचा ,प्रज्ञा पलाश भंडारी,नीता रिंकू जैन,कु. सिद्धि पंकज वागरेचा के सामूहिक मासखमण का आयोजन 18 अगस्त शुक्रवार सुबह सकल श्री संघ की नवकारसी से प्रारंभ हुआ

पश्चात सभी तपस्वियों की जयकार यात्रा निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या मे तप की अनुमोदना के लिये डूंगर मालवा सहित कई राज्यों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया साथ ही विधायक वीर सिंह भूरिया ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर सभी तपस्या की सुख साता पूछते हुए अनुमोदना की एवं भगवान शांति सुमतीनाथ मंदिर, श्री गोड़ी पार्श्वनाथ मंदिर, त्रिस्तुतीक संघ ,सकल श्री संघ सहित कई समाजसेवी संस्था एवं पत्रकार संघ ने नगर के मुख्य स्थानों पर बहुमान किया जयकार यात्रा अणु स्वाध्याय भवन पहुंचकर धर्मसभा मे बदल गई जहाँ तपस्वियों का बहुमान संघ की भेंट एवं तपस्या की बोली से हुआ जिसमें सभी ने बड़ चढ़कर तप करने का संकल्प लिया। कमलेश भंडारी का बहुमा न संघ द्वारा ओर मुकेश ललवानी 16 उपवास शालू कोठारी 11 उपवास की बोली से ओर कु.सिद्धि वागरेचा का बहुमान संघ एवं रवी लोढ़ा, पंकज जी सपनाजी वागरेचा अनूप, समता, चेतन,सीमा झामर,विपुल धोका शैलजा संजय , कविता भण्डारी, प्रमिला भंडारी एवं ने वर्षीतप की बोली लेकर बहुमान किया प्रभावना एवं स्वामीभक्ति का लाभ सामूहिक तपस्वीयों के परिवार द्वारा लिया गया संचालन विपुल धोका ने किया