भोपाल । आज मोबाइल हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है। इस कारण मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। लेकिन कंपनियों के इंफ्रास्ट्रक्चर जस के तस हैं। इस कारण राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश के मोबाइल उपभोक्ता अभी डेटा कॉल ड्रॉप और इंटरनेट डाटा ड्रॉप की समस्या से जूझ रहे हैं। बातचीत के बीच में ही फोन कट जाता है। कई बार फोन लगाने के बावजूद नहीं लग रहा है। यही हाल इंटरनेट का भी है। उपभोक्ताओं को एक समान स्पीड नहीं मिल रही है। बल्कि बीच-बीच में मोबाइल डाटा ड्रॉप हो जाता है और जूम मीटिंग या अन्य काम करते समय कुछ समय के लिए उपभोक्ता उससे कट जाते हैं। पहले केवल वॉयस कॉल में यह समस्या होती थी, लेकिन अब डेटा कॉल में भी ड्रॉपकी दर बढ़ गई है। गौरतलब है कि कंपनियों ने इंटरनेट और कॉल डाटा की दरों में हाल ही में 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की है। उसके बाद भी कॉल ड्राप की समस्या कम होने की बजाय बढ़ी है। इंटरनेट की स्पीड और मोबाइल डेटा कॉल ड्रॉप बढऩे के कारण लोग लगातार नंबर पोर्ट भी करा रहे हैं। बावजूद उन्हें राहत नहीं पा रही है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में अभी तक 4 करोड़ 73 लाख उपभोक्ताओं ने मोबाइल पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन किया है।

पेनल्टी के लिए हो रही निगरानी
ट्राई के रीजनल ऑफिसर विनोद गुप्ता के अनुसार तकनीकी खामी के कारण 2 प्रतिशत कॉल ड्राप को ट्राई ने छूट के दायरे में रखा है। लेकिन इससे ज्यादा होने पर पेनल्टी का प्रावधान है। इस संबंध में मुख्यालय से निगरानी चल रही है। यदि ऑपरेटर्स की सेवाओं में गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जा सकती है। बीएसएनएल के रिटायर्ड इंजीनियर ओपी तिवारी के अनुसार अभी कंपनियां सिम बेचकर उपभोक्ता तो बढ़ाती जा रही हैं लेकिन इंफ्रा तैयार नहीं किया जा रहा है। अभी मोबाइल ऑपरेटर्स के बेस ट्रांसरिसीवर स्टेशन- बीटीएस अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। इस बीटीएस के माध्यम से ही एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर वॉयस या डेटा पहुंचाता है। इससे नेटवर्क समस्या, कॉल ड्राप होने का सिलसिला बढ़ता है। अपेक्षित डेटा स्पीड नहीं मिलने से डेटा कॉल भी ड्रॉप हो रहे हैं। बीटीएस बढ़ाने से बैंडविथ बढ़ेगी। बैंडविथ जितनी ज्यादा होगी, इंटरनेट और वॉयस कनेक्टिविटी उतनी ही बेहतर होगी। इसके लिए व्यवस्था होना चाहिए।