लाड़ली बहनों के भैया कहलाते हैं, बुजुर्गों को तीर्थदर्शन कराने वाले आदर्श बेटे माने जाते हैं और भांजियों के लिए मामा की भूमिका निभाते हैं। व्यक्ति एक, भूमिका अनेक। बिटिया के विवाह में जैसे मामा भात भरकर अपना फर्ज निभाता है, ठीक उसी प्रकार अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और इसलिए पूरा प्रदेश इन्हें ‘मामा’ के नाम से जानता है। शिवराज द्वारा चलाई गई मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना ने प्रदेश के गरीब पिताओं की चिंता हर ली है। 'मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना' के तहत गरीब कन्याओं को वित्तीय सहायता राशि के तौर पर 51,000 रुपये सरकार की ओर से दिए जाते हैं, ताकि भांजियां अपनी गृहस्थी का सामान अपनी जरूरत के मुताबिक बसा सकें। इस योजना से अब तक प्रदेश की लगभग 6 लाख 31 हजार से ज्यादा बेटियों गृहस्थी बस चुकी है। योजना में अब तक ₹1630 करोड़ का लाभ दिया जा चुका है।


मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं चलाकर समाज में बेटियों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के तहत समाज के गरीब तबके की लड़कियों के विवाह के लिए 55,000 रुपये दिया जा रहा है। इसके अलावा, इस साल मार्च में शुरू की गई महत्वाकांक्षी ‘लाड़ली बहना योजना’ भी राज्य की बेटियों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। इसके तहत 10 जून से पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में हर महीने 1,000 रुपये जमा किए जा रहे हैं।
शिवराज सरकार की ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ से 44.90 लाख बेटियां ‘लखपति’ बन गई हैं। इस योजना के तहत लड़की के जन्म के समय उसके नाम पर 1.18 लाख रुपये का भुगतान का आश्वासन देने वाला एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है और राशि का भुगतान लड़की द्वारा शिक्षा के अलग-अलग स्तर पार करने के बाद उसके 21 वर्ष की होने तक किया जाता है।