केरल और तमिलनाडु के बाद ‘नई शिक्षा नीति 2020’ को लागू करने से इन्कार करने वाला कर्नाटक तीसरा राज्य बन गया है। केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे छात्र विरोधी बताते हुए कहा, राज्य सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करे। गौरतलब है कि ‘नई शिक्षा नीति 2020’ की घोषणा के वक्त कर्नाटक इसे लागू करने वाला पहला राज्य था, तब वहां भाजपा की सरकार थी।

देश की शिक्षा में 34 सालों बाद बदलाव लाने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) कर्नाटक में राजनीति की भेंट चढ़ गई है।कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एनईपी को समाप्त करने का एलान कर दिया गया है। प्रधान ने कहा, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री का यह बयान उनके दिल्ली के राजनीतिक आकाओं को खुश करने वाला है, लेकिन छात्र हित में नहीं है।

प्रधान ने कहा, डिप्टी सीएम के तथ्य गलत हैं और उनका बयान शरारतपूर्ण और प्रतिगामी है। केंद्र ने 34 सालों के बाद 21 वीं सदी की जरूरतों के आधार पर बदलाव लाने वाले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को जुलाई 2020 में लागू किया था। इस नीति को देशभर के शिक्षाविदों, राज्यों,स्कूलों, कॉलेजों, पंचायत, आम लोगों से लेकर सभी हितधारकों के सुझावों के आधार पर अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने तैयार किया है।