पिछले पांच सालों में भारत से रूस से हथियार खरीद में कमी कर दी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपने एक रिपोर्ट में बताया है कि रूस से हथियारों के आयात में 47 फीसद की गिरावट आई है क्योंकि भारत अपने हथियार आपूर्ति के आधार में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है। भारत विदेशी हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है। हालांकि पिछले पांच सालों में भारत ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2012-16 और 2017-21 के बीच आयात में 21 फीसद की कमी आई है। स्टडी में कहा गया है कि 2012-16 और 2017-21 दौरान रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। लेकिन रूसी हथियारों के भारत के आयात में दो अवधियों के बीच 47 फीसद की गिरावट आई क्योंकि रूसी हथियारों के कई बड़े कार्यक्रम बंद हो गए। 

रूसी हथियारों में कमी का मतलब यह भी है कि फ्रांस से भारतीय आयात में बढ़ोतरी हुई है। मुख्य रूप से राफेल लड़ाकू जेट सौदे के कारण, भारतीय वायुसेना के लिए टैंक-रोधी निर्देशित मिसाइलों और युद्ध सामग्री की आपूर्ति के लिए अनुबंध किए हैं। फ्रांस से भारत का हथियारों का आयात दस गुना से अधिक बढ़ गया जिसके कारण फ्रांस 2017-21 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया। फ्रांस को भारत के लिए एक विश्वसनीय हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में देखा गया है क्योंकि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंध बढ़ रहे हैं। भारत ने पिछले कुछ सालों में रूस के साथ कई बड़े अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और नौसेना के लिए युद्धपोत के सौदे शामिल हैं। हालांकि कुछ बड़े सौदे स्थगित भी किए हैं। इनमें लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली और अतिरिक्त लड़ाकू जेट खरीदने की योजना शामिल है।