भोपाल  । राज्य सरकार से प्रदेशभर की गोशालाओं की जांच कराएं और कहीं भी लापरवाही पाए जाने पर गोशाला संचालकों पर सख्त कार्रवाई करे। यह मांग की है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने। भोपाल के बैरसिया क्षेत्र की गोशाला में सैंकड़ों गाय के शव मिलने की घटना को लेकर कमलनाथ ने कहा कि जिन संस्थाओं को अनुदान दिया जा रहा है वे उसका क्या उपयोग कर रही हैं, इसका आडिट कराया जाए। गोशालाओं के संचालन में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि गौ सेवा भारती नाम से संचालित गोशाला को सर्वाधिक अनुदान दिए जाने की बात सामने आ रही है। इसके बाद भी वहां बड़ी संख्या में गाय के शव मिले हैं। कई शवों को कुएं में डाल दिया गया। राजधानी भोपाल से लगे इलाके में जब गोशाला की यह हालत है तो अन्य जगह क्या स्थिति होगी, यह समझा जा सकता है। सरकार गोवंश के संरक्षण और संवर्धन को लेकर दावे तो बड़े-बड़े करती है पर वास्तविकता कुछ और है। उन्होंने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि किस जिले में कितनी गोशाला कौन-कौन सी संस्था संचालित कर रही है। इनमें जो गोवंश है, उसके लिए कितना अनुदान दिया जा रहा है और उनके स्वास्थ्य परीक्षण के क्या इंतजाम किए गए हैं। इस कार्य के लिए किसे जिम्मेदारी दी गई है और समय-समय पर निरीक्षण किए गए हैं या नहीं। बैरसिया में भूख से गायों की मौत की बात सामने आ रही है। इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। हमारी सरकार के समय चारे के लिए राशि बढ़ाई गई थी और सड़कों पर घूमने वाली गाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए थे लेकिन यह सब ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। उन्होंने सरकार से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की। उधर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बैरसिया क्षेत्र में संचालित गोशाला की सैंकड़ों गाय के शव मिलने पर भी ठोस कार्रवाई न किए जाने पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस इस लड़ाई को आखिरी दम तक लड़ेगी। उन्होंने भाजपा नेताओं की चुप्पी को लेकर कहा कि इतनी बड़ी घटना होने पर भी सब मौन साधे हैं। इससे पता चलती है कि इनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। तथाकथित हिंदू धर्म के संरक्षक सिर्फ राजनीति करते हैं। इन्हें न तो हिंदू धर्म से कोई मतलब है और न ही गोसेवा से कोई लेना देना है। उन्होंने ट्वीट किया कि गोहत्या का प्रकरण दर्ज क्यों नहीं किया गया है और अब तक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है। इससे साफ पता चलता है कि सरकार मामले को दबाने में लगी है।