छठ महापर्व का शुक्रवार कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से नहाय-खाय व्रत के साथ शुभारंभ हो गया है। राजधानी भोपाल में करीब दो दर्जन से अधिक जगहों पर साढ़े तीन लाख से अधिक भोजपुरी समाज के लोग छठ पर्व को मनाएंगे। मां चामुडा दरबार के पुजारी रामजीवन दुबे के अनुसार ऐसी धार्मिक मान्यता है कि घर में सुख-समृद्धि और संतान को लेकर ये पूजा की जाती है। छठ पूजा करने वाले को सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरूआत हो गई। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इसे नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी शनिवार को खरना होगा। जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि को किया जाता है। इस दिन व्रतधारी दिनभर उपवास कर शाम को भगवान को प्रसाद का भोग लगाकर भोजन करते हैं। भोजन में गुड़ की खीर खाते हैं। इस दौरान किसी भी तरह की आवाज आने पर व्रती खाना छोड़ देते हैं। खरना वाले दिन खास तौर पर ध्यान रखा जाता है कि व्रती के कान तक किसी भी तरह का शोर ना जाए, खरना के दिन सड़कों पर कम से कम गाडिय़ां चलती हैं। लोग ध्यान रखते हैं कि कहीं किसी तरह का शोर ना हो, क्योंकि जरा सा भी शोर हुआ तो व्रती उसी वक्त खाना छोड़ देगा।
निर्जला व्रत रख होगी पूजा
शहर में 30 अक्टूबर को छठ पूजा के सामूहिक आयोजन दर्जन भर से अधिक स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान शाम को श्रध्दालु निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को घाटों पर पूजा अर्चना करेंगे। व्रतधारी घाटों पर पहुंचकर गन्ना सहित अन्य ऋतुफल, पकवान बांस के सूप एवं डलियों में रखकर भगवान सूर्य को अघ्र्य देंगे। इस मौके पर मुख्य कार्यक्रम शीतलदास की बगिया, खटलापुरा घाट, काली मंदिर घाट, कर्बला पंप घाट, बेहटा गांव, एकतापुरी, अशोका गार्डन, करोद, बागसेवनिया विश्वकर्मा मंदिर, सरस्वती मंदिर, बरखेड़ा व शिव मंदिर, कलिया सोत, जाटखेड़ी। द्वारका नगर, राजेंद्र नगर, ओल्ड सुभाष नगर, अशोका गार्डन, अयोध्या नगर आदि स्थानों के मंदिरों में पूजा कुंड बनाए गए है। इनमें पानी भरा जाएगा, जिससे सूर्यदेव को अघ्र्य दिया जा सके।