छत्तीसगढ़ : कोरबा जिले के करतला वनक्षेत्र में 38 हाथियों का दल जमकर उत्पात मचा रहा है। इनमें 8 शावक भी हैं। शुक्रवार रात को हाथियों ने पसरखेत रेंज में किसानों की फसलों को रौंद दिया। कोटमेर जंगल में भी कुछ हाथी विचरण करते देखे गए हैं। हाथी ने कोटमेर के ग्रामीणों की बाड़ी में लगी फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। करतला वन क्षेत्र के ग्राम गेराव और कोटमेर से 5 किलोमीटर दूर हाथियों का दल मौजूद है। वन विभाग ने लोगों से जंगल में जाने से मना किया है। साथ ही हाथियों के नजदीक जाकर फोटो-वीडियो बनाने की कोशिश नहीं करने की भी चेतावनी दी है। ओडिशा और झारखंड के रास्ते जंगली हाथियों का प्रवेश कोरबा जिले में हो रहा है। हाथियों ने केले और मूंगफली की फसल को नुकसान पहुंचाया है।

कोरबा डीएफओ अरविंद पीएम ने बताया कि दो साल बाद करतला रेंज में हाथियों का झुंड पहुंचा है। वन विभाग के कर्मचारी और हाथी मित्र दल हाथियों के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं। वन विभाग ने मुनादी भी करवाई है। किसानों की फसलों के नुकसान को लेकर सर्वे कराया जा रहा है। हाथियों के दल में 8 शावक होने के कारण खतरा ज्यादा बना हुआ है। शावकों की सुरक्षा के लिए हाथी काफी आक्रामक हो जाते हैं। खतरा देखकर वे किसी पर भी हमला करने से नहीं चूकते।

लेमरू एलीफेंट रिजर्व का काम बेहद धीमी गति से
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को हाथियों के लिए एक बड़ी परियोजना लेमरू एलीफेंट रिजर्व शुरू किए जाने का ऐलान किया था। जिसमें 4 वनमंडल के 12 रेंज शामिल किए गए थे। इनमें धरमजयगढ़, कोरबा, कटघोरा और सरगुजा क्षेत्र शामिल हैं। इसके तहत परिक्षेत्रों को मिलाकर करीब 450 वर्ग किलोमीटर घनघोर जंगल वाले लेमरू वन परिक्षेत्र में एलीफेंट रिजर्व बनेगा, लेकिन इसका काम शुरू ही नहीं हो सका है। जिस पर अक्सर विपक्ष भी निशाना साधता रहता है।